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Madhushala Kiski Rachna Hai
मधुशाला नामक काव्य उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवि हरिवंश राय बच्चन (1907-2003) जी का अनुपम काव्य है। मधुशाला काव्य एक सौ पैंतीस रूबाइयां का संकलन है। हिन्दी साहित्य जगत की मधुशाला बीसवीं सदी की अत्यंत महत्वपूर्ण रचना है।
Madhushala Harivansh Rai Bachchan ji ki Rachna Hai
Madhushala Kiski Rachna Hai | |
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नाम | हरिवंश राय बच्चन |
जन्म का तिथि | 27 नवम्बर 1907 |
जन्म का स्थान | उत्तर प्रदेश (भारत) |
मृत्यु का तिथि | 18 जनवरी 2003 |
मृत्यु का स्थान | मुम्बई (महाराष्ट्र) |
भारत सरकार द्वारा सम्मानित | पद्मभूषण (1976 में) |
प्रमुख रचनाएं | मधुशाला (1935), मधुबाला (1936), मधुकलश (1937),क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969), नीड़ का निर्माण फिर (1970), बसेरे से दूर (1977), |
मधुशाला में सूफीवाद का सजीव वर्णन किया गया है। हरिवंश राय बच्चन जी की अन्य प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित है –
आत्मकथा
- क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969),
- नीड़ का निर्माण फिर (1970),
कविता संग्रह
- बंगाल का काल
- सूत की माला
- प्रणय पत्रिका
- आरती और अंगारे
- बुद्ध और नाचघर
- त्रिभंगिमा
- चार खेमे चौंसठ खूंटे
- दो चट्टानें
- मधुशाला
- मधुबाला
- मधुकलश
- आत्म परिचय
- निशा निमंत्रण
- एकांत संगीत
- सतरंगिनी
- हलाहल
- बहुत दिन बीते
- कटती प्रतिमाओं की आवाज़
- उभरते प्रतिमानों के रूप
- जाल समेटा
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