क्या आप Doha Ki Paribhasha Udaharan Sahit | दोहा की परिभाषा उदाहरण सहित ? इसके बारे में खोज रहे हैं यदि हां तो आप एकदम सही स्थान पर आए हैं यहां पर आपको दोहा की परिभाषा से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान कराने का हर संभव प्रयास किया गया।
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दोहा की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए ( Doha Ki Paribhasha Udaharan Sahit ) :-
दोहा एक अर्ध सम मात्रिक छंद है जिसमें 4 चरण होते हैं। पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएं होती हैं दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएं होती हैं। अंत में लघु होता है।प्रायः दूसरे और चौथे चरण के अन्त में तुक होती है।
दोहा के उदाहरण (doha ke udaharan):-
मेरी भव बाधा हरो , राधा नागरि सोय |
जा तन की जाँई परे, श्याम हरित दुति होय || 1 ||
सीस-मुकुट कटि-काछनी, कर-मुरली उर-माल |
इहिं बानक मो मन सदा , बसौ बिहारी लाल || 2 ||
अमी पियावत मान बिनु , रहिमन मोहि न सुहाय।
मान सहित मरिबो भलो , जो बिस देते पिलाय || 3 ||
बसै बुराई जासु तन , ताही कौ सनमानु |
भलौ- भलौ कहि छोड़िये खोटे ग्रह जपु दानु || 4 ||
मन गयन्द माने नहीं, चले सुरति के साथ
महावत बिचारा क्या करे, जो अंकुश नाहीं हाथ ॥5।।
आपा तजै हरि भजै, नख सिख तजै विकार ।
सब जीवन से निर्बेर रहै, साधु मता है सार ॥ 6 ॥
बलिहारी वह दूध की, जामें निकरे घीव ॥
आधी साखी कबीर की, चारि वेद का जीव ॥ 7॥
एक शब्द गुरुदेव का, ताका अनन्त विचार ।
थाके मुनिजन पण्डिता, बेद न पावैं पार ॥8॥
एक कहौं तो है नहीं, दोय कहौं तो गारि।
है जैसा रहै तैसा, कहहिं कबीर बिचारि ॥ 9 ॥
मन सायर मनसा लहरि, बूड़े बहुत अचेत ।
कहहिं कबीर ते बाँचि हैं, जाके हृदय विवेक ॥10॥