दोहा की परिभाषा ॥ Doha Ki Paribhasha Udaharan Sahit with New trick || 2023

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दोहा की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए ( Doha Ki Paribhasha Udaharan Sahit ) :-

 

दोहा की परिभाषा ॥ Doha Ki Paribhasha Udaharan Sahit

दोहा एक अर्ध सम मात्रिक छंद है जिसमें 4 चरण होते हैं। पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएं होती हैं दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएं होती हैं। अंत में लघु होता है।प्रायः दूसरे और चौथे चरण के अन्त में तुक होती है।

दोहा की परिभाषा ॥ Doha Ki Paribhasha Udaharan Sahit

दोहा के उदाहरण (doha ke udaharan):-

मेरी भव बाधा हरो , राधा नागरि सोय |
जा तन की जाँई परे, श्याम हरित दुति होय || 1 ||

सीस-मुकुट कटि-काछनी, कर-मुरली उर-माल |
इहिं बानक मो मन सदा , बसौ बिहारी लाल || 2 ||

अमी पियावत मान बिनु , रहिमन मोहि न सुहाय।
मान सहित मरिबो भलो , जो बिस देते पिलाय || 3 ||

बसै बुराई जासु तन , ताही कौ सनमानु |
भलौ- भलौ कहि छोड़िये खोटे ग्रह जपु दानु || 4 ||

मन गयन्द माने नहीं, चले सुरति के साथ
महावत बिचारा क्या करे, जो अंकुश नाहीं हाथ ॥5।।

आपा तजै हरि भजै, नख सिख तजै विकार ।
सब जीवन से निर्बेर रहै, साधु मता है सार ॥ 6 ॥

बलिहारी वह दूध की, जामें निकरे घीव ॥
आधी साखी कबीर की, चारि वेद का जीव ॥ 7॥

एक शब्द गुरुदेव का, ताका अनन्त विचार ।
थाके मुनिजन पण्डिता, बेद न पावैं पार ॥8॥

एक कहौं तो है नहीं, दोय कहौं तो गारि।
है जैसा रहै तैसा, कहहिं कबीर बिचारि ॥ 9 ॥

मन सायर मनसा लहरि, बूड़े बहुत अचेत ।
कहहिं कबीर ते बाँचि हैं, जाके हृदय विवेक ॥10॥

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