कबीर का जीवन परिचय class 10 | Sant Kabir Das Ka Jivan Parichay in Hindi (1398) || Most Important

क्या आप ” Kabir Das Ka Jivan Parichay in Hindi ” या ” कबीर का जीवन परिचय class 10 हिंदी में ” इसके बारे में खोज रहे हैं यदि हां तो आप एकदम सही स्थान पर आए हैं यहां पर आपको Kabir Das  से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान कराने का हर संभव प्रयास किया गया।
आप सभी से निवेदन है कि आप लोग अपना प्यार बनाए रखें और शेयर करते रहें।

लोग यह भी खोजते हैं – कबीर दास का जीवन परिचय 100 शब्दों में? , कबीर दास का जीवन परिचय 10 लाइन? , कबीर दास का जीवन परिचय पूरा? , कबीर दास जी का जीवन परिचय PDF? , कबीर दास का जीवन परिचय 500 शब्दों में?

Kabir Das Ka Jivan Parichay in Hindi | कबीर का जीवन परिचय class 10

 

Kabir Das Ka Jivan Parichay in Hindi | कबीर का जीवन परिचय class 10

  कबीर का जीवन परिचय कक्षा 10 || Examspreps.com
नाम संत कबीर दास
जन्म सन् 1398 (विक्रम संवत 1455)
जन्म का स्थान लहरतारा ( UP )
पालन पोषण करने वाले ( पिता ) नीरू ( जुलाहे )
पालन पोषण करने वाली ( माता ) नीमा ( जुलाहे )
शिक्षा निरक्षर*
गुरु का नाम रामानन्द ( माने जाते हैं )
क्षेत्र सामाजिक व आध्यात्मिक
प्रमुख रचनाएं साखी , सबद , रमैनी , कबीर दोहावली , कबीर कवितावली
भाषा अवधी , सधुक्कड़ी , पंचमेल खिचड़ी भाषा
मृत्यु सन् 1519 ( विक्रम संवत 1575 )
मृत्यु का स्थान मगहर (UP)
हिन्दी साहित्य में स्थान मूर्धन्य स्थान प्राप्त है ।

 

ज्ञानमार्गी शाखा के महान संत , समाज-सुधारक , वाणी के डिटेकटर संत सम्राट सदगुरु कबीर साहेब जी का जन्म विक्रम संवत 1455 अर्थात सन् 1398 ई. में हुआ था।

सदगुरु कबीर साहेब के जन्म के विषय में अनेक मत हैं जिनमें से कुछ प्राचीन व प्रसिद्ध मत के अनुसार कबीर दास जी का जन्म काशी के लहरतारा के आसपास हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि कबीर दास जी का पालन पोषण जुलाहा दंपत्ति नीरू और नीमा के द्वारा संपन्न हुआ।

कबीर दास जी श्रद्धेय वैष्णव संत रामानंद स्वामी को अपना गुरु बनाना चाहते थे, लेकिन रामानंद स्वामी जी ने कबीर दास को शिष्य बनाने से इनकार कर दिया। कबीर दास जी के मन में यह चल रहा था कि वैष्णव पंथ के गुरुवर रामानंद स्वामी को हर संभव प्रयास करके अपना गुरु बनाउंगा।

इसके लिए कबीर दास जी के मन एक विचार आया कि स्वामी रामानंद जी सुबह 4 बजे गंगा स्नान के लिए जाते हैं तो मैं गुरुवर रामानंद स्वामी के पहले ही जाकर के गंगा किनारे बनी सीढ़ियों पर लेट जाऊंगा और उन्होंने ऐसा ही किया।

एक दिन प्रातः सुबह जल्दी उठकर संत कबीर दास जी गंगा किनारे गए और ये पंचगंगा घाट की सीढ़ियों पर लेट गए ऐसा मान्यताओं में बताया गया है, जब आचार्य रामानंद स्वामी जी गंगा स्नान करने के लिए सीढ़ियों से उतर रहे थे कि तभी उनका पैर संत कबीर कबीर दास जी के शरीर पर पड़ गया और फिर उनके मुख से तत्काल राम राम शब्द निकल पड़ा। उसी राम शब्द को कबीर दास जी ने दीक्षा मंत्र मान लिया ऐसा माना जाता है और रामानंद जी को उसी दिन से अपना गुरु स्वीकार कर लिया।

कबीर दास जी अपने जीवन के आखिरी समय में पाखंड मिटाने के लिए मगहर चले आए क्योंकि उस समय यह पाखंड फैला हुआ था कि जो मगर में शरीर छोड़ेगा नरक हो जाएगा और जो काशी में शरीर छोड़ेगा वह मोक्ष प्राप्त करेगा इसी कारणवश सदगुरु कबीर साहब जी अंतिम समय में मगर को आ गए थे।
अब से लगभग 500 साल पहले वर्ष 1518 ईस्वी में यही इनकी मृत्यु (अर्थात नाशवान मानव रूपी शरीर का त्याग ) हुई।

Sant Kabir Das Ji ki कृतियां –

संत कबीर दास की रचनाएं निम्नलिखित हैं उनमें प्रसिद्ध रचनाएं इस प्रकार हैं –

बीजक – बीजक एक महत्वपूर्ण रचना है जिसके तीन भाग हैं: साखी, सबद, रमैनी।

नोट – बीजक में कुल 11 प्रकरण हैं जो कि इस प्रकार हैं-

  • प्रथम प्रकरण – रमैनी
  • द्वितीय प्रकरण – शब्द
  • तृतीय प्रकरण – ज्ञान चौंतीसा
  • चतुर्थ प्रकरण – विप्रमतीसी
  • पंचम प्रकरण – कहरा
  • षष्टम प्रकरण – बसंत
  • सप्तम प्रकरण – चाचर
  • अष्टम प्रकरण – बेलि
  • नवम प्रकरण – बिरहुली
  • दशम प्रकरण – हिंडोला
  • एकादश प्रकरण – साखी

Kabir Das ki bhasha या कबीर साहेब की भाषा

अगर हम सदगुरु कबीर साहेब की भाषा की बात करें तो उनकी भाषा सधुक्कड़ी एवं पंचमेल खिचड़ी से ओतप्रोत है। वाणी के डिटेकटर सदगुरु कबीर साहब की भाषा में हिंदी भाषा की सभी बोलियों के शब्द देखने को मिलते हैं।

 

Tulsidas Ka Jivan Parichay

Hajari Prasad Ka Jivan Parichay In Hindi

Kamayani Kis Yug Ki Rachna Hai – Jaishankar Prasad (1936)

 

 

 

 

 

 

 

 

संत कबीर के गुरु का क्या नाम था?

रामानंद

कबीर ने किसकी पूजा की?

निर्गुण ब्रह्म की

कबीर दास जी की दो रचनाएं?

साखी , रमैनी

Leave a Comment